यू.के. मुद्रास्फीति: किफायती जीवनयापन के संघर्ष के बीच भारतीय छात्रों के लिए यू.के. में पढ़ाई करना कठिन
यू.के. में मुद्रास्फीति से संबंधित उभरते परिदृश्य के कारण भारत के छात्र यू.के. में जाकर अध्ययन को लेकर अब आशंकित हैं।
यूके में मुद्रास्फीति 2022 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, सीपीआईएच सहित, सितंबर 2022 तक 12 महीनों में 8.8% बढ़ गया। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नवंबर के आंकड़ों के अनुसार, मुद्रास्फीति की दर 9.3% पर पहुंच गई।
उल्लेखनीय है की हाल ही में बर्मिंघम सिटी काउंसिल ने धारा 114 नोटिस दायर करते हुए ब्रिटेन के दुसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंगम ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है और आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य खर्चों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए, शहर को अब 87 मिलियन पाउंड (109 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के घाटे का अनुमान है।
इंग्लैंड में डी मोंट फोर्ट से एमबीए की पढाई करने वाले छात्र वीरभद्र सिंह ने बताया की जब 2019 में यू.के. गया था तब आसानी से पार्ट टाइम जॉब लग गयी थी, पढाई पूरी होने पर पोस्ट स्टडी वर्क वीसा भी आसानी से मिल गया और वहां काम भी किया लेकिन पीछे 1 वर्ष से यहाँ आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, छात्रों के लिए पार्ट टाइम नौकरी नहीं है जिससे यहाँ रहना और पढना काफी महंगा हो गया है। इसके बाद भी इस समय जॉब लगने में पहले से ज्यादा संघर्ष है।
छात्र प्रिंस डांगी ने बताया कि पहले यू.के. के लिए स्नातक पढ़ने के विकल्प देखे लेकिन फीस ज्यादा होने के कारण इटली का विकल्प देखा लेकिन वहाँ भी जब पता किया तो स्थितियां ठीक नही लगी, अब दुबई में लेवल प्रोग्राम कंप्यूटर आईटी की पढ़ाई के लिए जा रहा हूं, वहाँ पढ़ाई का अच्छा विकल्प होने के साथ नौकरी के विकल्प भी मिलेंगे
जर्मनी भी अच्छा विकल्प है लेकिन कोई पढ़ाई के साथ ही जर्मन भाषा की तैयारी करें तो समय की बचत के साथ वहाँ पूर्ण छात्रवृति के साथ पढ़ने का बेहतर विकल्प मिल सकता है।
करियर काउंसलर विकास छाजेड़ ने बताया की इस वर्ष भारतीयों को सबसे अधिक संख्या में यूके ने छात्र वीजा जारी किया था, यूके में पढाई के साथ पार्ट टाइम काम करने का भी वीज़ा मिलता है। छात्र अपने रहने-खाने का खर्च पार्ट टाइम काम करके आसानी से निकाल लेते थे, साथ ही यूके का पोस्ट स्टडी वर्क वीज़ा भी काफी आकर्षक है, इन्ही के चलते भारतीय छात्रों की पहली पसंद यूके था, लेकिन अब भारतीय छात्रों के लिए यह संघर्ष बन गया है। लगभग एक वर्ष से मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण रहना-खाना महंगा तो हुआ ही साथ ही पार्ट टाइम काम करने के लिए नौकरी नहीं है, खर्च बढ़ने के साथ आमदनी नहीं होने से छात्र एवं अभिभावक परेशान है। सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए यह एक चुनौती बन गया है।
ब्रिटिश उच्चायोग के आंकड़ों के अनुसार, भारत अब यूके में प्रायोजित अध्ययन वीजा जारी करने वाले सबसे बड़े राष्ट्रीयता के रूप में चीन से आगे निकल गया है। भारतीयों को सितंबर 2022 में समाप्त होने वाले वर्ष के लिए 1.27 लाख की सबसे बड़ी संख्या में यूके छात्र वीजा प्राप्त हुए।
काउंसलर विकास छाजेड़ ने बताया की भारतीय छात्रों का विदेश में अध्ययन के लिए जाने के लिए यू.एस., यू.के., कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शीर्ष पर हैं। कनाडा में छात्रों के वीज़ा आवेदनों की अस्वीकृति ज्यादा है वही यू.एस. में खर्च ज्यादा है, लेकिन यू.के. इन सभी देशों की तुलना में वीज़ा स्वीकृति ज्यादा आसान है, इस कारण यू.के. पसंदीदा के रूप में उभरा है।
हालाँकि, यु.के. इन सभी परेशानियों के चलते अब इन दिनों संयुक्त अरब अमीरात, छात्रवृति के साथ पढ़ाई के लिए जर्मनी, फ़्रांस, और मलेशिया जैसे देश छात्रों की तेजी से पसंद और विकल्प बनते जा रहे हैं।
(यह Article, MBBS के अलावा कोर्स जैसे मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग जैसे UG और PG courses के लिए है।
MBBS के लिए हर देश मे अलग अलग नियम है।)