फॉरेन एजुकेशन की चाह रखने वाले भारतीय छात्रों की प्राथमिकता विदेश में सुरक्षित माहौल और पढ़ाई के साथ कॅरियर ग्रोथ, भारत से हर साल औसतन 70 हजार छात्र विदेशों में जाते हैं हायर स्टडीज के लिए- मेडिकल की पढ़ाई के लिए कजाकिस्तान, फिलीपींस और रूस की ओर रुख
चीन में कोरोना के कारण हालात अब तक बिगड़े हुए हैं, वहीं यूक्रेन और रूस के युद्ध के कारण यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले कई विद्यार्थियों का भविष्य प्रभावित हुआ है। हालांकि जो विद्यार्थी वहां के कॉलेज व यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी पढ़ाई ऑनलाइन मोड पर जारी है। लेकिन आगे क्या होगा, इस संबंध में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में कोरोना के इन दो सालों में विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की पसंद बहुत हद तक बदल चुकी है। सस्ती मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन और यूक्रेन जाने वाले विद्यार्थी अब कजाकिस्तान, फिलीपींस व रूस जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं। वहीं, अन्य कोर्सेज व उच्च शिक्षा के लिए अब विद्यार्थियों की पसंद यूके बन चुका है। विद्यार्थियों की प्राथमिकता केवल सस्ती पढ़ाई ही नहीं, बल्कि सुरक्षित माहौल, पढ़ाई के साथ कॅरियर ग्रोथ भी है।
यूके वीज़ा नियम बहुत आसान और सरल, कनाडा और यूएस भी बने पसंदीदा
फॉरेन एजुकेशन एक्सपर्ट व कॅरियर काउंसलर विकास छाजेड़ ने बताया कि उदयपुर के कई स्टूडेंट्स चीन और यूक्रेन से मेडिकल स्टडी कर रहे थे, लेकिन दोनों देशों के हालात ने उन्हें भारत लौटने पर मजबूर किया। वहीं, अब जो नए स्टूडेंट्स हैं उनकी पसंद बदल गई है। सबसे पसंदीदा देश की बात करें तो यूके अपनी वीज़ा एवं इमीग्रेशन रूट पॉलिसी एवं पोस्ट स्टडी वर्क वीज़ा नियम की वजह से भारतीय छात्रों का पसंदीदा देश है। इस पॉलिसी के तहत छात्र पढ़ाई के बाद दो साल नौकरी व एक साल का मास्टर प्रोग्राम भी कर सकते हैं। छात्र यूएस में मिलने वाली सैलरी व वहां की बेहतर इमिग्रेशन पॉलिसी की वजह से हायर एजुकेशन में दाखिला ले रहे हैं। कनाडा भी अच्छी शिक्षा व आसानी से वीजा एवं पीआर देने के मामले में पसंदीदा देश बना हुआ है। छात्रों के पसंदीदा देश लीप स्कॉलर के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में विदेश जाने वाले कुल भारतीय छात्रों में से 49 प्रतिशत यूके, 36 प्रतिशत कनाडा व 18 प्रतिशत यूएस जाना चाहते थे।
वर्ष 2024 तक 18 लाख भारतीय छात्र हायर एजुकेशन के लिए जाएंगे विदेश
रेडसीर कंस्लटिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक हायर एजुकेशन से विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या 2024 तक 18 लाख हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 2024 तक भारतीय छात्र विदेशी शिक्षा के लिए सालाना 8 हजार करोड़ रुपए खर्च करेंगे। मौजूदा समय में यह आंकड़ा 2 हजार 800 करोड़ है। वर्ष 2016 में पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या 4,40,000 थी। 2019 में यह आंकड़ा सात लाख सत्तर हजार पर पहुंच गया। अमरीका, जहां 4000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं, वहां से पढ़ाई के बाद छात्रों को प्लेसमेंट पैकेज अधिक मिलता है। हायर प्लेसमेंट के मामले में अमरीका के विश्वविद्यालयों के बाद यूके और कनाडा के विश्वविद्यालय आते हैं। विदेशों में 70 प्रतिशत भारतीय छात्र स्पेशल कोर्स का चयन करते हैं, जबकि 30 फीसदी छात्र सामान्य कोर्सेज को चुनते हैं।
पसंदीदा देश : यूएस, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड आदि|